Kaku Ram Thakur awarded Best Voice of Himachal Him Gaurav by All India Pravashi Himachali United Front

हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा के निवासी प्रदेश के प्रसिद्ध लोक गायक काकू राम को अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचल संयुक्त मोर्चा द्वारा चंडीगढ़ में “हिमाचल की आवाज” “बेस्ट वॉइस ऑफ हिमाचल अवार्ड” “हिम गौरव पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।

kakru ram awared


इस अवसर पर अध्यक्ष अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचल संयुक्त मोर्चा ने काकू राम की कला साधना और उनके अनुभव को देखते हुए अपने अभिभाषण में कहा कि दिल्ली आईसीआर, कोलकाता , मुंबई, हिमाचल सभा डेराबस्सी, गाजियाबाद, नोएडा ,गुड़गांव ,पुण: और देश के अन्य स्थानों पर कार्य कर रही उनकी यह संस्था आशा करती है कि आज “ हिम गौरव के पुरुस्कार से पुरस्कृत होने वाला यह कलाकार काकू राम भविष्य में “पदम श्री सम्मान ” से सम्मानित हो।

काकू राम को वर्तमान मुकाम तक पहुंचने के लिए अनेकों उतार-चढ़ाव और संघर्षों से गुजरना पड़ा है ।

अपनी अनूठी गायन कला के बल पर काकू राम ने ना केवल चम्बा, हिमाचल ही नहीं अपितु अन्य राज्य में भी पहाड़ी पंजाबी हिंदी गीतों के अलावा भजन गायक के रूप में ख्याति और अहम स्थान बनाया है ।

प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा मेला, त्यौहार, पर्व होगा जिसने काकू राम की प्रभावी उपस्थिति दर्ज ना होती हो।

कार्यक्रम कोई भी हो अगर काकू राम मंच पर है तो पंडाल में दर्शक झूमते ही नजर आते हैं।

गायन की विविधता, अदायगी, नृत्य, प्रस्तुति में जोश, और दर्शकों को सम्मोहित करने की अदा का प्रतिफल यह है कि काकू राम ठाकुर आज प्रदेश के प्रतिष्ठित प्रथम श्रेणी के लोक कलाकारों में अपना अहम स्थान बना चुका है ।



मंच कार्यक्रमों के अतिरिक्त विभिन्न ऑडियो वीडियो कंपनियों के माध्यम से हिमाचली लोक संस्कृति के प्रचार-प्रसार व संवर्धन में जुटा यह कर्मयोगी निरंतर कला के पथ पर अग्रसर हो कर नित नए समीकरण बना रहा है।

महानुभाव..” किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि मनुष्य धैर्य, परिश्रम, निस्वार्थ भाव, उत्साह और इमानदारी से निरंतर अपने कर्म पथ पर अग्रसर रहे।

बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करते हुए लक्ष्य साधने के लिए जो भी इंसान अपने पथ पर बढ़ता जाएगा वह अपनी मंजिल तक अवश्य पहुंच जाएगा “

इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाले प्रदेश के सुप्रसिद्ध गायक काकू राम ने अपनी बाल्यावस्था में जो कल्पनाएं कि, जिन सपनों को देखा उन्हें अपनी अथक मेहनत साधना और मां सरस्वती के आशीर्वाद से साकार होते पाया है।

हिमाचल जिला चम्बा के कीड़ी के दूरस्थ गांव के किसान परिवार में जन्मे काकू राम गायन के प्रति रुचि बचपन से ही थी ।

नन्हा बालक काकू राम जब भी स्थानीय मेलों ,त्यौहारों पर्वो इत्यादि में सुनता तो उन जैसा बनने की कल्पना में खो जाता ।

घर से स्कूल के मार्ग में देवदार के घनेरे ऊंचे ऊंचे पेड़ों के नीचे तोतली गूंजती आवाज से जोर-जोर से गाते काकू राम को यूं आभास होता मानो गाने की आवाज से दर्शक सम्मोहित होकर पेड़ों की शाखाओं के संग झूम रहे हैं ।

यह काकू राम का सौभाग्य ही था कि उनकी कला प्रतिभा को प्राथमिक स्तर पर ही स्कूल के अध्यापकों ने ही पहचान लिया ।

गांव के निर्धन परिवार में जन्मे बालक के कंठ में सरस्वती माता के वास का परिणाम था कि काकू राम ठाकुर को गुरुजनों ने उसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रोत्साहन दिया ।

घरेलू परिस्थितियों के चलते काकू राम ठाकुर के जीवन में संघर्ष का दौर तब आया जब उन्हें अपना घर बार छोड़कर चम्बा शहर में पढ़ना और रहना पड़ा।

नन्हा नासमझ बालक गांव से शहर तो चला आया लेकिन अपने लक्ष्य ,अपने सपनों से उसका ध्यान ना हटा
अब वह शिक्षा के साथ-साथ नए अनजाने लोगों के बीच गायक बनने के लक्ष्य को साधने के लिए सशक्त सेतु को भी तलाशने लगा।

काकू राम को शीघ्र ही योग्य गुरु और मार्गदर्शक के रूप में चम्बा के संगीत विद्वान “अनिल भारद्वाज ” का सानिध्य प्राप्त हुआ ।

उन्होंने न केवल गायन बारीकियों से ही काकू राम ठाकुर को अवगत करवाया अपितु कला के क्षेत्र में अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए साधना, समर्पण, स्पष्टवादिता जैसे सदगुणों को अपनाने की शिक्षा दी।

काकू राम ने “हिम गौरव” का अपना अवार्ड अपने माता-पिता, गुरुजनों , साथियों व संघर्ष के समय मदद करने वाली सभी शख्सियतों को समर्पित किया है ।